गरीबी किसी भी समाज और राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्या होती है। भारत जैसे विकासशील देश में यह चुनौती और भी गंभीर है, जहाँ करोड़ों लोग अभी भी बुनियादी ज़रूरतों जैसे भोजन, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा से वंचित हैं। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, लंबे समय से गरीबी से जूझ रहा है। यही कारण है कि राज्य सरकार ने 2024 में एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत की – “शून्य गरीबी अभियान”।
इस अभियान का लक्ष्य है कि 2030 तक उत्तर प्रदेश को गरीबी मुक्त राज्य बनाया जाए। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह संभव है? क्या यह योजना जमीनी स्तर तक पहुँचेगी या यह केवल कागज़ों में सिमट कर रह जाएगी? आइए इस ब्लॉग में विस्तार से समझते हैं।

शून्य गरीबी अभियान: पृष्ठभूमि और उद्देश्य
योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2024 (गांधी जयंती) को हुई।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है राज्य के प्रत्येक परिवार की शालीन आए को कम से कम 125000 तक पहुंचाना।
क्यों ज़रूरी था यह अभियान?
आज भी उत्तर प्रदेश की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरी खेती तथा संगठित क्षेत्र के कार्य करने को आज भी लोग मजबूर है।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी, गरीबी को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती है।
इस योजना को लाने के पीछे राज्य सरकार का लक्ष्य है सामाजिक समानता और आत्मनिर्भरता।
योजना के प्रमुख बिंदु
- गरीब परिवारों की पहचान
ग्राम पंचायत स्तर पर सर्वे कर वास्तविक गरीब परिवारों की सूची तैयार की जाएगी।
- आय बढ़ाने के उपाय
स्वरोजगार, लघु उद्योग और स्टार्टअप्स के लिए आर्थिक सहयोग।
कृषि और पशुपालन को अतिरिक्त आय का साधन बनाना।
महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को बढ़ावा।
- अन्य योजनाओं से जोड़ना
आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना जैसी अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करना।
- सालाना आय लक्ष्य
हर गरीब परिवार को न्यूनतम ₹1,25,000 की आय तक पहुँचाना।
योजना से होने वाले संभावित लाभ
- आर्थिक सशक्तिकरण
गरीब परिवारों को स्थायी आय का स्रोत मिलेगा जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा।
- शिक्षा में सुधार
जब परिवार की आय बढ़ेगी तो बच्चे शिक्षा पर ध्यान दे पाएंगे और कामकाज में नहीं उलझेंगे।
- स्वास्थ्य लाभ
गरीब परिवार बेहतर पोषण और इलाज पर खर्च कर सकेंगे।
- ग्रामीण विकास
गांवों में रोजगार बढ़ने से पलायन कम होगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
ज़मीनी चुनौतियाँ
हालांकि यह योजना सुनने में बेहद आकर्षक लगती है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं:
- लाभार्थियों की सही पहचान
अक्सर योजनाओं में पात्र लोगों की जगह अपात्र लोग लाभ ले लेते हैं।
- भ्रष्टाचार और लापरवाही
स्थानीय स्तर पर अधिकारी और बिचौलिये योजना की पारदर्शिता को प्रभावित कर सकते हैं।
- संसाधनों की कमी
हर परिवार को आय बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और साधन उपलब्ध कराना आसान नहीं होगा।
- ग्रामीण जागरूकता
बहुत से लोग आज भी योजनाओं की जानकारी न होने की वजह से वंचित रह जाते हैं।
क्या यूपी 2030 तक गरीबी मुक्त हो पाएगा ?
यह सवाल महत्वपूर्ण है। 2030 तक गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के Sustainable Development Goals (SDGs) में भी शामिल है।
अगर सरकार ने पारदर्शी ढंग से इस अभियान को लागू किया:
तो लाखों परिवारों को फायदा होगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार होगा।
रोजगार और आय स्रोत बढ़ेंगे।
लेकिन अगर भ्रष्टाचार, लापरवाही और जागरूकता की कमी बनी रही, तो यह योजना केवल एक “राजनीतिक नारा” बनकर रह जाएगी।
जनता की उम्मीदें
ग्रामीण गरीब परिवारों को अब सरकार से बहुत उम्मीदें हैं।
युवा चाहते हैं कि उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले ताकि पलायन न करना पड़े।
महिलाएँ चाहती हैं कि स्वयं सहायता समूहों को मज़बूत बनाया जाए।
शून्य गरीबी अभियान उत्तर प्रदेश की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक बदलाव भी है। यदि सही तरीके से लागू हुआ तो 2030 तक उत्तर प्रदेश गरीबी मुक्त बनने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है।
हालांकि, इसके लिए ज़रूरी है:
पारदर्शिता,
जागरूकता,
और निरंतर निगरानी।
गरीबी मिटाना केवल सरकार का ही नहीं, बल्कि समाज का भी दायित्व है। यदि शासन और जनता मिलकर काम करें, तो वह दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश “गरीबी मुक्त प्रदेश” कहलाएगा।


