भारत एक युवा देश है और इसकी सबसे बड़ी ताकत इसका युवा वर्ग है। लेकिन लेकिन वर्तमान समय में युवा वर्ग बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्या का सामना कर रहा है यह बेरोजगारी उसके न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रही है बल्कि उसके सामाजिक आर्थिक विकास को भी रोक के रखी है
इस समस्या के समाधान के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार ने “मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना” शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य युवाओं को रोजगार सृजन करने वाला बनाना है ना की रोजगार खोजने वाला।

योजना की शुरुआत और उद्देश्य
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं तथा बेरोजगार युवाओं के लिए शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है
इस योजना की शुरुआत 2020 में की गई यह योजना प्रारंभ में प्रवासी श्रमिकों तथा बेरोजगार युवाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई थी।
योजना का प्रमुख उद्देश्य
- बेरोजगार युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना।
- राज्य में उद्यमिता (Entrepreneurship) की भावना को प्रोत्साहित करना।
- आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में युवाओं को प्रोत्साहित करना। योजना के प्रमुख बिंदु
योजना के प्रमुख बिंदु
- ऋण सुविधा
ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम ₹25 लाख तक और शहरी क्षेत्र में ₹10 लाख तक का कम ब्याज पर ऋण।
- अनुदान (सब्सिडी)
योजना लागत का 25% तक सब्सिडी से कर करना (अधिकतम ₹6.25 लाख तक) - लाभार्थी वर्ग
बेरोजगार युवक-युवतियाँ, प्रवासी मजदूर, महिलाएँ और छोटे उद्यमी।
- न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता
योजना में पात्रता की न्यूनतम सीमा आठवीं पास होना माना गया है। - ब्याज दर:
पात्र व्यक्तियों को सामान्य डर से उपलब्ध कराना लेकिन सब्सिडी और सहज किस्तों की सुविधा। - रोजगार सृजन:
एक व्यक्ति के लिए स्वरोजगार ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी रोजगार उपलब्ध कराना।
पात्रता (Eligibility Criteria)
आवेदक की आयु: 18 से 40 वर्ष।
आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी हो।
किसी भी राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय रोजगार योजना का पूर्व लाभार्थी न हो।
किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या वित्तीय संस्था से डिफॉल्टर न हो।
आवेदन प्रक्रिया
- ऑनलाइन पंजीकरण:
आधिकारिक पोर्टल diupmsme.upsdc.gov.in पर जाएँ।
- फॉर्म भरना:
आधार कार्ड, निवास प्रमाण, शैक्षणिक योग्यता, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पासपोर्ट साइज फोटो।
- प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करना:
जिस व्यापार/उद्योग को शुरू करना है, उसका विवरण।
- जाँच और स्वीकृति:
जिला स्तरीय समिति (DLC) द्वारा जाँच के बाद बैंक को अनुशंसा।
- ऋण स्वीकृति और वितरण:
बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत कर सब्सिडी सहित धनराशि प्रदान की जाती है।
किन-किन क्षेत्रों में शुरू कर सकते हैं व्यापार?
मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (छोटे उद्योग जैसे – पैकेजिंग, प्लास्टिक, बेकरी, फर्नीचर)।
सेवा क्षेत्र (सैलून, साइबर कैफे, ई-रिक्शा, मोबाइल रिपेयरिंग, हॉस्पिटैलिटी)।
कृषि एवं संबंधित कार्य (डेयरी, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन, खाद-बीज की दुकान)।
हैंडलूम और क्राफ्ट आधारित उद्योग (खादी, हथकरघा, लकड़ी के काम)।
योजना के लाभ
- आर्थिक आत्मनिर्भरता:
युवाओं को रोजगार की तलाश के बजाय खुद रोजगार देने वाला बनना।
- बेरोजगारी में कमी:
नए उद्योग-व्यवसाय से रोजगार के अवसर बढ़ना।
- महिला सशक्तिकरण:
महिलाओं के लिए भी स्वरोजगार के अवसर।
- ग्रामीण विकास:
गाँव स्तर पर छोटे-छोटे उद्योग स्थापित कर स्थानीय विकास।
- प्रवासी मजदूरों के लिए सहारा:
कोरोना काल में लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार का अवसर।
योजना संबंधी चुनौतियां
सभी को बैंक रेड आसानी से उपलब्ध नहीं होता है
अशिक्षा के कारण प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने में तकनीकी ज्ञान का ना होना
कभी-कभी सब्सिडी समय पर नहीं पहुँचती।
स्वरोजगार को सफल बनाने के लिए आवश्यक है सही प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन की
सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम
ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत।
उद्यमिता प्रशिक्षण (Entrepreneurship Training) की सुविधा।
MSME विभाग की निगरानी।
लाभार्थियों की सफलता कहानियों को प्रचारित कर दूसरों को प्रेरित करना।
सफलता की कहानियाँ
बरेली: एक महिला उद्यमी ने सरकारी सहायता से सिलाई सेंटर शुरू किया और आज 15 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
गोरखपुर: एक युवक ने पोल्ट्री फार्म खोलकर न केवल अपनी आजीविका सुनिश्चित की, बल्कि 8 अन्य लोगों को रोजगार दिया।
योजना का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज को बढ़ावा।
युवाओं के बीच आत्मविश्वास में वृद्धि।
“स्टार्टअप इंडिया” और “मेक इन इंडिया” मिशन को सहयोग।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान।
भविष्य की संभावनाएँ
यदि इस योजना को और अधिक पारदर्शी और तकनीकी सहायता से जोड़ा जाए, तो उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दर में भारी कमी हो सकती है।
महिलाएँ और ग्रामीण उद्यमी इससे नए व्यापार मॉडल तैयार कर सकते हैं।
इससे “वोकल फॉर लोकल” अभियान को भी बल मिलेगा।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह योजना केवल वित्तीय सहायता नहीं बल्कि आत्मनिर्भर बनने की सोच भी प्रदान करती है। अगर युवा सही दिशा और परिश्रम के साथ इसका लाभ लें, तो वे न केवल अपनी जिंदगी बदल सकते हैं बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन सकते हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना “बेरोजगारी से रोजगार और निर्भरता से आत्मनिर्भरता” की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।


