
SHRESHTA योजना के तहत पढ़ाई कर रहे अनुसूचित जाति (SC) के छात्रों से अगर कोई स्कूल फीस या किसी भी तरह का चार्ज ले रहा है, तो अब सावधान हो जाए। केंद्र सरकार ने साफ शब्दों में कहा है कि इस योजना के तहत छात्रों से किसी भी तरह की फीस नहीं ली जा सकती। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस बारे में स्कूलों को पत्र जारी करके चेतावनी दी है।
क्या है SHRESHTA योजना?
SHRESHTA यानी Scheme for Residential Education for Students in High Schools in Targeted Areas – यह योजना उन SC छात्रों के लिए चलाई जा रही है, जो 9वीं और 11वीं में पढ़ाई कर रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि इन छात्रों को देश के अच्छे आवासीय स्कूलों में मुफ्त और बेहतर शिक्षा मिले। इसमें ट्यूशन फीस, हॉस्टल, किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य ज़रूरी खर्चों को सरकार खुद वहन करती है।
शिकायतें मिलने पर हुआ मंत्रालय सख्त
हाल ही में मंत्रालय को शिकायतें मिलीं कि कुछ स्कूल सिक्योरिटी डिपॉजिट, मेडिकल फीस, किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर छात्रों से पैसे मांग रहे हैं। यह पूरी तरह योजना के नियमों के खिलाफ है। 7 जुलाई 2025 को मंत्रालय ने इस पर गंभीर रुख अपनाया और चेतावनी जारी की कि अगर कोई स्कूल ऐसा करता पाया गया, तो उसके खिलाफ CBSE के माध्यम से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
CBSE करेगा कार्रवाई
जिन स्कूलों पर नियमों के उल्लंघन का शक है, उन पर अब CBSE नजर रखेगा। अगर दोष सिद्ध होता है, तो स्कूल को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। इस कदम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि योजना का लाभ सही छात्रों तक बिना किसी परेशानी के पहुंचे।
कितने छात्रों को मिल रहा फायदा?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, SHRESHTA योजना से अब तक करीब 15,000 SC छात्र लाभ उठा चुके हैं। इनमें से 5,000 छात्र प्राइवेट आवासीय स्कूलों में पढ़ रहे हैं, जिन्हें योजना के तहत सरकारी खर्च पर पढ़ाई का मौका मिला है।
निष्कर्ष
सरकार की मंशा साफ है – वह चाहती है कि कमजोर वर्ग के बच्चों को बिना किसी आर्थिक दबाव के अच्छी शिक्षा मिले। ऐसे में स्कूलों को चाहिए कि वे नियमों का पालन करें और छात्रों पर कोई अनावश्यक बोझ न डालें। SHRESHTA योजना उन बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य की राह है, जिन्हें पहले ऐसी सुविधा शायद ही मिल पाती थी।