भारत सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है, जिससे समाज के हर वर्ग को आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर मिल सके। महिलाओं और वंचित तबकों (SC/ST वर्ग) को लंबे समय से उद्यमिता (Entrepreneurship) के क्षेत्र में पूंजी की कमी, संसाधनों की कमी और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता रहा है। इन कठिनाइयों को दूर करने और उन्हें व्यवसाय शुरू करने में मदद देने के लिए 5 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “स्टैंड अप इंडिया योजना” (Stand Up India Scheme) की शुरुआत की गई।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य है – हर बैंक शाखा से कम से कम एक महिला उद्यमी और एक SC/ST उद्यमी को ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराना।
Stand Up योजना का उद्देश्य
स्टैंड अप इंडिया योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल ऋण देने की योजना नहीं है, बल्कि इसका फोकस नए उद्यमियों को खड़ा करना, रोजगार पैदा करना और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान देना है।
प्रमुख उद्देश्य
- महिलाओं और SC/ST वर्ग के लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना।
- युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देना और नौकरी खोजने वालों को “जॉब क्रिएटर” बनाना।
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को वित्तीय संस्थानों से जोड़कर वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) को मजबूत करना।
- MSME सेक्टर (Micro, Small & Medium Enterprises) को मजबूती देना।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे-बड़े उद्यमों की संख्या बढ़ाना।
कौन ले सकता है ? लाभ (पात्रता)
स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत ऋण प्राप्त करने के लिए कुछ पात्रता शर्तें तय की गई हैं –
- लाभार्थी वर्ग:
SC (अनुसूचित जाति)
ST (अनुसूचित जनजाति)
महिलाएँ (किसी भी जाति या वर्ग की)
- उम्र सीमा:
आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए।
अधिकतम आयु की कोई सीमा नहीं है।
- व्यवसाय का स्वरूप:
नया व्यवसाय (Greenfield Enterprise) होना चाहिए।
मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस या ट्रेडिंग सेक्टर में होना चाहिए।
- कंपनी प्रकार:
व्यक्तिगत, साझेदारी (Partnership) या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी।
यदि साझेदारी है, तो कम से कम 51% हिस्सेदारी महिला/SC/ST आवेदक की होनी चाहिए।
ऋण की राशि और शर्तें
स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत दिए जाने वाले ऋण की राशि और उससे जुड़ी शर्तें इस प्रकार हैं:
ऋण राशि: ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक।
ऋण का प्रकार: Composite Loan (जिसमें Term Loan + Working Capital दोनों शामिल होते हैं)।
मार्जिन मनी: कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट का 25% तक।
बैंक की सहायता: बैंक इस मार्जिन मनी का 15% तक CGTMSE (Credit Guarantee Fund Scheme for Micro and Small Enterprises) के माध्यम से पूरा करता है।
ब्याज दर: ब्याज दर बैंकों द्वारा तय होती है, लेकिन RBI की गाइडलाइन के तहत रहती है।
भुगतान अवधि: अधिकतम 7 साल (1 साल की मोराटोरियम अवधि सहित)।
आवेदन प्रक्रिया
स्टैंड अप इंडिया योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया बहुत सरल है। इच्छुक आवेदक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आवेदन कर सकते हैं।
- ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
- सबसे पहले आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ – http//.standupmitra.in
- “Borrower” विकल्प पर क्लिक करें।
- आवश्यक विवरण भरें – नाम, पता, व्यवसाय का प्रकार, कैटेगरी (SC/ST/महिला) आदि।
- निकटतम बैंक शाखा का चुनाव करें।
- आवेदन सबमिट करें और रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त करें।
- बैंक की ओर से आगे की प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी।
- ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया
- नजदीकी बैंक शाखा (राष्ट्रीयकृत बैंक) में जाएँ।
- निर्धारित आवेदन फॉर्म भरें।
- सभी दस्तावेज़ संलग्न करें।
- बैंक अधिकारी आपके प्रोजेक्ट रिपोर्ट और पात्रता की जाँच करेंगे।
- स्वीकृति मिलने के बाद ऋण जारी कर दिया जाएगा।
आवश्यक दस्तावेज़
स्टैंड अप इंडिया योजना के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
- पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट)
- जाति प्रमाण पत्र (SC/ST वर्ग के लिए)
- महिला आवेदक होने पर केवल आईडी प्रूफ पर्याप्त
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
- व्यवसाय योजना / प्रोजेक्ट रिपोर्ट
- बैंक स्टेटमेंट (पिछले 6 महीने का)
- GST या अन्य आवश्यक लाइसेंस (यदि लागू हो)
योजना से होने वाले लाभ
स्टैंड अप इंडिया योजना ने लाखों महिलाओं और SC/ST उद्यमियों को अपने सपनों को हकीकत में बदलने का मौका दिया है। इसके लाभ इस प्रकार हैं:
- आर्थिक सशक्तिकरण – पिछड़े और वंचित वर्ग को वित्तीय सहायता मिलती है।
- स्वरोजगार में बढ़ोतरी – नौकरी पर निर्भरता कम होकर लोग अपने व्यवसाय शुरू कर रहे हैं।
- महिला सशक्तिकरण – ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ भी छोटे उद्योग शुरू कर रही हैं।
- रोजगार सृजन – नए उद्यमियों द्वारा दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
- समाज में समानता – SC/ST वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने का अवसर मिलता है।
- MSME क्षेत्र को प्रोत्साहन – छोटे और मध्यम उद्योगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
अब तक की उपलब्धियाँ
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार:
2025 तक देशभर में 2 लाख से अधिक उद्यमियों को इस योजना से लाभ मिला है।
लगभग ₹30,000 करोड़ से अधिक का ऋण स्वीकृत किया गया है।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी महिलाओं और SC/ST वर्ग के उद्यमियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
चुनौतियाँ
हालाँकि योजना लाभकारी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने आती हैं:
- कई लोग अभी भी योजना के बारे में जागरूक नहीं हैं।
- बैंक ऋण स्वीकृति में समय और दस्तावेज़ी प्रक्रिया लंबी होती है।
- ग्रामीण महिलाओं में डिजिटल साक्षरता की कमी है।
- प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने में पेशेवर मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
- ऋण चुकाने की क्षमता (Repayment) कई बार चुनौती बनती है।
समाधान और सुधार की दिशा
- ग्रामीण स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
- आवेदन प्रक्रिया को और सरल और पारदर्शी बनाना चाहिए।
- महिलाओं और SC/ST उद्यमियों को बिजनेस ट्रेनिंग और मेंटरशिप उपलब्ध करानी चाहिए।
- छोटे ऋण (Micro Loans) की भी सुविधा योजना में जोड़नी चाहिए।
- समय-समय पर बैंकों और लाभार्थियों के बीच संवाद (Interaction) कराया जाना चाहिए।
स्टैंड अप इंडिया योजना केवल ऋण देने की योजना नहीं है, बल्कि यह भारत में सामाजिक और आर्थिक समानता लाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना के माध्यम से महिलाएँ और SC/ST वर्ग उद्यमिता की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे न केवल उनका जीवन बदल रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है।
आज जरूरत है कि अधिक से अधिक लोग इस योजना की जानकारी लें, बैंक से संपर्क करें और अपने उद्यमिता के सपने को पूरा करें।
यही इस योजना का सार है “सपनों को पंख दो, खुद खड़े हो और दूसरों को भी खड़ा करो।


