TET Supreme Court: फैसले पर कई Review Petitions, जानें पूरी Detail

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शिक्षकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में TET (Teachers’ Eligibility Test) एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। लेकिन भारत की न्यायपालिका ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है जिसमें यह कहा गया कि TET क्वालीफिकेशन न सिर्फ नए शिक्षक नियुक्ति के लिए बल्कि सेवा में रहते हुए पदोन्नति या बने रहने के लिए भी अनिवार्य होगा। इस निर्णय ने देशभर के लाखों शिक्षकों की स्थिति को प्रभावित किया है और कई राज्यों तथा शिक्षक संघों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटीशन (पुनरीक्षण याचिका) दाखिल की है। इस ब्लॉग में हम इस फैसले के तथ्यों, तर्कों, विरोधों और आगे के रास्तों को विस्तार से देखेंगे।

TET क्या है?

  1. TET का उद्देश्य
    TET, यानी Teachers’ Eligibility Test, यह सुनिश्चित करने का एक मापदंड है कि किसी व्यक्ति में न्यूनतम शैक्षिक और शिक्षक योग्यता हो। ताकि छात्र-शिक्षण की गुणवत्ता बनी रहे।
  2. अधिवर्तन व प्रारंभ
    TET की अनिवार्यता पहले से ही कुछ राज्यों और संघीय निर्देशों के तहत थी। लेकिन समय-समय पर यह विवाद का विषय रहा कि पुराने शिक्षक, जो TET लागू होने से पहले नियुक्त हुए थे, उन पर यह लागू होगा या नहीं।
  3. कानूनी आधार
    TET को राष्ट्रीय शिक्षा कानूनों और शिक्षण नियमों के संदर्भ में देखा जाता है—विशेषकर RTE Act, 2009 (Right of Children to Free and Compulsory Education Act) और NCTE (National Council for Teacher Education) की नियमावली।
    सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में इस कानूनी ढाँचे को बड़े वजन से देखा है।

सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख निर्णय — मुख्य बिंदु

  1. निर्णय की तिथि और बेंच
    सुप्रीम कोर्ट की एक विभाजित बेंच ने यह आदेश दिया कि TET क्वालीफिकेशन सभी नए शिक्षकों तथा सेवा में रहते हुए पदोन्नति हेतु अनिवार्य होगा।
  2. न्यायालय का मूल तर्क

कोर्ट ने कहा कि TET एक योग्यता (qualification) है, न कि एक “स्वैच्छिक परीक्षा”।

जो शिक्षक पहले से सेवा में हैं और जिनके सेवा में सेवानिवृत्ति (retirement) तक 5 वर्ष या उससे कम बचे हों, उन्हें बिना TET पास किए सेवा जारी रखने की अनुमति दी गई है, लेकिन पदोन्नति नहीं मिलेगी।

जो शिक्षक सेवा में हैं और जिनके पास 5 वर्ष से अधिक सेवा शेष हो, उन्हें दो वर्षों के भीतर TET पास करना अनिवार्य किया गया है अन्यथा उन्हें सेवा से हटाया जा सकता है।

अल्पसंख्यक (Minority) शैक्षिक संस्थानों (Minority Educational Institutions) पर TET लागू होगा या नहीं — इस सवाल को न्यायालय ने एक विशाल संवैधानिक पीठ को भेजा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिया कि पुराने हाईकोर्ट व अन्य निर्णयों- जैसे कि Pramati Educational Trust के मामले में — जिन्हें अल्पसंख्यक संस्थाओं को TET से छूट दी थी — उन पर पुनर्विचार हो सकता है।

  1. अन्य निर्देश

जिन शिक्षकों ने पहले से CTET / TET पास कर लिया है (निर्णय की तिथि से पहले), उन्हें सेवा और पदोन्नति दोनों में फायदा होगा।

न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई शिक्षक TET न पास कर पाए, तो उसे नौकरी में बने रहने का कोई अचूक अधिकार नहीं है।

TET

रिव्यू पेटीशन (पुनरीक्षण याचिकाएँ) — क्या दायर हुई हैं?

इस निर्णय के बाद, कई राज्य सरकारें और शिक्षक संगठन सुप्रीम कोर्ट से पुनरीक्षण याचिका (Review Petition) दाखिल कर रहे हैं या करने की बात कर रहे हैं। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण और उनकी स्थिति हैं:

  1. STFI (School Teachers Federation of India)
    STFI ने सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें 1 सितंबर के आदेश को चुनौती दी गई है कि TET अनिवार्य किया जाना संविधानोचित है या नहीं।
  2. यूपी सरकार
    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि बेसिक शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण या “revision” याचिका दायर करे।
  3. तमिलनाडु सरकार
    तमिलनाडु ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने की योजना बनाई है। राज्य के शिक्षा मंत्री ने विश्वास जताया है कि राज्य यह याचिका जीत लेगा।
  4. केरल सरकार
    केरल सरकार ने कहा है कि वह इस फैसले को चुनौती देगी और समीक्षा याचिका दाखिल करेगी।
  5. राजस्थान और अन्य राज्य
    राजस्थान समेत अन्य राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा की मांग की है कि पुराने शिक्षक, जिन्हें बिना TET के नियुक्त किया गया था, उनकी सेवा समाप्त न हो।

इन याचिकाओं में मुख्य तर्क यह है कि निर्णय में पुराने शिक्षक, उनकी सेवा की अवधि, और राज्य शिक्षा व्यवस्था की विशेष परिस्थितियों पर न्याय नहीं हुआ है।

इस फैसले के प्रभाव एवं विवाद

  1. शिक्षकों की नौकरी सुरक्षा पर दबाव

बहुत से शिक्षक, विशेषकर वे जो TET लागू होने से पहले नियुक्त हुए थे और अब भी सेवा में हैं, इस फैसले से चिंतित हैं कि अगर वे TET में सफल नहीं हुए, तो उन्हें नौकरी से हटाया जा सकता है।

  1. पदोन्नति पर रोक

चाहे शिक्षक सेवा जारी रख सकें, लेकिन यदि वे TET पास नहीं करते, तो उन्हें पदोन्नति नहीं मिलेगी। इससे उनके करियर और आर्थिक उन्नति पर असर पड़ेगा।

  1. राज्य सरकारों का बजट और व्यवस्था

राज्य सरकारों को अब उन शिक्षकों हेतु मदद, प्रशिक्षण और पुनर्परीक्षा की व्यवस्था करनी होगी। कई राज्यों ने कहा है कि उन्हें इस फैसले को लागू करने में वित्तीय एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ होंगी।

  1. अल्पसंख्यक संस्थानों का संरक्षण

अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को भारतीय संविधान (अनुच्छेद 30) द्वारा विशेष अधिकार दिए गए हैं। कई संगठनों तर्क दे रहे हैं कि TET अनिवार्य करने से उनकी स्वायत्तता प्रभावित होगी। इस विषय को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ (Constitution Bench) के पास भेज दिया है।

  1. न्यायिक विवाद और पुनर्विचार

इस फैसले से पहले के निर्णय जैसे Pramati Trust केस, जिसमें अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़ने का निर्णय लिया गया था, अब पुनर्समीक्षा के दायरे में आ सकते हैं।

क्या रिव्यू पेटीशन स्वीकार होंगी? — संभावनाएँ और चुनौतियाँ

  1. पुनरीक्षण की सीमाएँ
    सुप्रीम कोर्ट में Review Petition का दायरा सीमित होता है। यह नए तथ्यों पर नहीं, बल्कि “रिकॉर्ड पर स्पष्ट त्रुटि (apparent error)” या “नया तथ्य जो पहले सामने नहीं था” — इन कारणों की जाँच करता है।
  2. न्यायालय की अनिच्छा
    सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर अपने निर्णयों को तुरंत ही नहीं पलटता। विशेष रूप से यदि इसके पीछे संवैधानिक विचार हों। समीक्षा याचिका स्वीकार करने में न्यायालय सतर्क रहता है।
  3. संविधान पीठ का दायित्व
    अल्पसंख्यक संस्थानों पर TET लागू करने संबंधी विवाद को बड़ी पीठ को भेजा गया है। यदि समीक्षा याचिका स्वीकार होती है, तो वह बड़ी पीठ के निर्णय को प्रभावित कर सकती है।
  4. राज्य सरकारों की भूमिका
    सरकारें या शिक्षक संघ यह तर्क दे सकते हैं कि न्यायालय ने राज्य व शिक्षक संगठनों की स्थिति को पर्याप्त रूप से नहीं देखा। इस प्रकार की तर्कों के आधार पर समीक्षा सफलता की संभावना बढ़ सकती है।
आगे की राह — क्या हो सकता है?
  1. समय सीमा का ध्यान
    समीक्षा याचिका समयबद्ध होती है। सुप्रीम कोर्ट नियमों (Order XLVII, Supreme Court Rules, 2013) के अंतर्गत 30 दिनों के भीतर समीक्षा याचिका दाखिल करनी होती है।
  2. संविधान पीठ का निर्णय
    TET की अनिवार्यता के संदर्भ में अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू करने के प्रश्न को बड़ी (Constitution) पीठ को भेजा गया है। जब बड़ी पीठ निर्णय देगी, तब यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह निर्णय कितनी सीमा तक लागू होगा।
  3. राज्य स्तर पर संरक्षण
    कई राज्य सरकारें यह प्रयास करेंगी कि वे पुनरीक्षण याचिका, विशेष कानून या छूट प्रावधान लागू करें ताकि अपने शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित हो। उदाहरणस्वरूप, यूपी सरकार ने पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का आदेश दिया है।
  4. शिक्षक प्रशिक्षण और TET तैयारी
    समय रहते शिक्षक टीईटी की तैयारी करें। यदि वे तैयारी समय रहते कर लें, तो नौकरी से हटाए जाने का संकट कम होगा।
  5. संवैधानिक चुनौतियाँ
    यदि बड़े न्यायालय (Constitution Bench) ने यह निर्णय दिया कि TET को अल्पसंख्यक संस्थाओं पर लागू करना संविधान के अनुरूप नहीं है, तो इस फैसले में बदलाव हो सकता है।

TET पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय एक प्रमुख बदलाव, क्रांतिकारी फैसला है जो शिक्षक नियुक्ति, सेवा और पदोन्नति से जुड़े नियमों को री-डिज़ाइन करता है। इसने देशभर में बहस पैदा कर दी है कि क्या पुराने शिक्षक, सरकारों की शैक्षिक नीतियाँ और संवैधानिक अधिकार इस फैसले के दबाव में कट सकते हैं या नहीं।

रिव्यू पेटीशन एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, लेकिन यह सफलता की गारंटी नहीं देती। इस फैसले से निश्चिततः शिक्षा जगत में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है—जहाँ शिक्षक योग्य हो, लेकिन साथ ही न्याय और संवैधानिक अधिकारों का भी ख्याल रखा जाए।

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    नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है। मैं पिछले 3 सालों से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ और फिलहाल मैं सरकारी योजनाओं पर ब्लॉग लिख रहा हूँ। इस ब्लॉग के जरिए, मैं आपको विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ और आवेदन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दूंगा। अधिक जानकारी के लिए, हमारे WhatsApp ग्रुप को जॉइन करें

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