UPI (Unified Payments Interface)लेन-देन करने वालों के लिए खुशखरी! सरकार ने जारी किया आज से नया नियम UPI Payment Update

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भारत में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के नियमों और सुविधाओं में हाल ही में कुछ ऐसे बदलाव हुए हैं जो उपयोगकर्ताओं के लिए लेन-देन को और भी सुगम, सुरक्षित और सशक्त बना देंगे। अगस्त 2025 से लागू हुए इन नए प्रावधानों में लेन-देन की सीमा में वृद्धि से लेकर सुरक्षा के नए तरीके शामिल हैं। आइए, एक नजर डालते हैं इन प्रमुख बदलावों पर। उससे पहले जानते हैं क्या है यूपीआई तथा कैसे काम करता है

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Unified Payments Interface

UPI(Unified Payments Interface): क्या है

यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक तत्काल रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली है। यह एक मोबाइल-फर्स्ट पेमेंट सॉल्यूशन है जो आपको किसी भी समय, कहीं से भी, बिना बैंक जाने के, एक बटन के ज़रिए पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देता है।

यूपीआई कैसे काम करता है?

यूपीआई काम करने के लिए एक सिंगल आइडेंटिफ़ायर यानी एक विशेष पहचान का इस्तेमाल करता है, जिसे वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) कहा जाता है (जैसे yourname@oksbi)। यह VPA आपके बैंक खाते को छुपाकर रखते हुए उससे जुड़ा होता है, जिससे लेन-देन ज्यादा सुरक्षित हो जाता है।

  • भुगतान शुरू करना: जब आप किसी को पैसे भेजते हैं, तो आपको सिर्फ उनका VPA या मोबाइल नंबर (UPI के ज़रिए लिंक किया हुआ) या QR कोड स्कैन करना होता है।
  • अनुरोध की प्रोसेसिंग: आपका यूपीआई ऐप (जैसे Google Pay, PhonePe, Paytm) यह अनुरोध एनपीसीआई के सर्वर पर भेजता है।
  • सत्यापन और स्वीकृति: एनपीसीआई यह सुनिश्चित करता है कि अनुरोध सही है और फिर संबंधित बैंकों के बीच लेन-देन को अंजाम देता है। आपसे लेन-देन को अंतिम रूप देने के लिए आपका यूपीआई पिन (UPI PIN) माँगा जाता है।
  • धनराशि का हस्तांतरण: एक बार पिन सत्यापित हो जाने के बाद, पैसा तुरंत प्राप्तकर्ता के खाते में ट्रांसफर हो जाता है।

इस तरह, यूपीआई ने पारंपरिक बैंकिंग की जटिल प्रक्रियाओं (जैसे IFSC कोड, खाता नंबर) को हटाकर डिजिटल भुगतान को तेज़, आसान और सुरक्षित बना दिया है।

अब बात करते हैं यूपीआई सिस्टम में हुए बदलाव की

बड़े लेन-देन के लिए बढ़ी सीमा

यूपीआई अब केवल छोटी खरीदारी तक सीमित नहीं रहा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने कई मामलों में लेन-देन की सीमा को बढ़ाकर एक बड़े बदलाव की शुरुआत की है।

  • सामान्य व्यक्तिगत लेन-देन: अधिकांश बैंकों के लिए प्रति दिन की सीमा ₹1 लाख बनी हुई है।
  • विशेष श्रेणियाँ: हालांकि, कुछ चुनिंदा और महत्वपूर्ण श्रेणियों के लिए प्रति लेन-देन की सीमा बढ़ाकर ₹5 लाख और दैनिक सीमा ₹10 लाख कर दी गई है। इन श्रेणियों में शामिल हैं:
  • पूंजी बाजार (म्यूचुअल फंड, आदि में निवेश) और बीमा प्रीमियम।
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर भुगतान और कर (जीएसटी, आयकर आदि) का भुगतान।
  • यात्रा (फ्लाइट, होटल बुकिंग) और आईपीओ में निवेश।
  • क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान (दैनिक सीमा ₹6 लाख)।

सुरक्षा और सुविधा में क्रांति

नए बदलावों में सुरक्षा और सुविधा को नए आयाम दिए गए हैं, जिससे लेन-देन पहले से कहीं ज्यादा आसान और भरोसेमंद हो गया है।

बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण: अब उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन के फिंगरप्रिंट स्कैनर या फेस अनलॉक का इस्तेमाल करके बिना यूपीआई पिन डाले ही भुगतान कर सकते हैं।
आधार-आधारित फेस ऑथेंटिकेशन: यूपीआई पिन सेटअप या रीसेट करने के लिए अब डेबिट कार्ड की जरूरत नहीं होगी। उपयोगकर्ता अपने चेहरे की स्कैनिंग के जरिए भी नया पिन बना सकते हैं, जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और नए उपयोगकर्ताओं के लिए सहायक है।


स्मार्ट ग्लासेज से भुगतान: टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और बड़ा कदम, अब यूपीआई लाइट की मदद से स्मार्ट ग्लासेज पहनकर सिर्फ आवाज के commands देकर और QR कोड स्कैन करके बिना फोन निकाले भुगतान किया जा सकता है।
प्राप्तकर्ता का नाम दिखना: अब कोई भी लेन-देन करने से पहले आपको प्राप्तकर्ता का बैंक में रजिस्टर्ड नाम दिखाई देगा, जिससे गलत व्यक्ति को भुगतान करने का जोखिम कम हो गया है।

सिस्टम दक्षता के लिए नए दिशा-निर्देश

यूपीआई नेटवर्क पर बढ़ते दबाव को कम करने और सिस्टम को तेज व विश्वसनीय बनाए रखने के लिए 1 अगस्त, 2025 से कुछ नए ऑपरेशनल नियम भी लागू किए गए हैं।

बैलेंस चेक सीमा: अब एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक किया जा सकता है। हालाँकि, हर सफल लेन-देन के बाद ऐप स्वयं ही आपका शेष बैलेंस दिखा देगा।
लिंक्ड अकाउंट देखने की सीमा: अपने लिंक्ड बैंक खातों की सूची को एक दिन में केवल 25 बार ही देखा जा सकता है।
लेन-देन स्टेटस चेक: किसी लंबित लेन-देन का स्टेटस एक दिन में सिर्फ 3 बार ही चेक किया जा सकता है और दो कोशिशों के बीच कम से कम 90 सेकंड का अंतराल जरूरी है।
ऑटोपे का निर्धारित समय: ऑटो-डेबिट (जैसे OTT सब्सक्रिप्शन, बिल पेमेंट) अब केवल निर्धारित नॉन-पीक घंटों में ही प्रोसेस होंगे, जैसे सुबह 10 बजे से पहले और रात 9:30 बजे के बाद।

अन्य उल्लेखनीय बदलाव

यूपीआई मल्टी-सिग्नेचर: अब संयुक्त बैंक खातों पर भी यूपीआई का इस्तेमाल किया जा सकेगा, जहाँ लेन-देन को पूरा करने के लिए एक से ज्यादा व्यक्ति के approval की जरूरत होगी।
माइक्रो एटीएम से नकदी निकासी: अब UPI Cash Points पर माइक्रो एटीएम का इस्तेमाल करके QR कोड स्कैन करके नकदी निकाली जा सकती है, जिससे डिजिटल और नकदी अर्थव्यवस्था के बीच की खाई और कम होगी।
सभी ऑटोपेमेंट एक ही जगह: आने वाले समय में उपयोगकर्ता अपने सभी ऑटो-पेमेंट (चाहे वे अलग-अलग ऐप्स से क्यों न सेट किए गए हों) को किसी एक ही यूपीआई ऐप में देख और manage कर सकेंगे।

निष्कर्ष

यूपीआई में हुए ये बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली न सिर्फ तेजी से बढ़ रही है, बल्कि और परिपक्व भी हो रही है। ये अपडेट उपयोगकर्ताओं को अधिक सुरक्षा देने, बड़े लेन-देन की सुविधा प्रदान करने और पूरे सिस्टम की मजबूती को बढ़ाने की दिशा में उठाए गए सार्थक कदम हैं। इन नियमों के साथ, यूपीआई ने भारत को डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है।

कृपया ध्यान दें: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। यूपीआई से जुड़े नियमों, सीमाओं और सुविधाओं के बारे में सबसे सटीक और ताजा जानकारी के लिए हमेशा NPCI या अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से जांच अवश्य करें।

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    नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है। मैं पिछले 3 सालों से ब्लॉगिंग कर रहा हूँ और फिलहाल मैं सरकारी योजनाओं पर ब्लॉग लिख रहा हूँ। इस ब्लॉग के जरिए, मैं आपको विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ और आवेदन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दूंगा। अधिक जानकारी के लिए, हमारे WhatsApp ग्रुप को जॉइन करें

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